भारतीय संस्कृति और ब्राह्मणवादी संस्कृति अलग अलग है। भारतीय संस्कृति शिव और काली पर आधारित है तथा इसमें मांस और मदिरा वर्जित नहीं है।शिव जहां योग साधना के प्रतीक हैं वही काली तंत्र साधना की।
ब्राह्मणवादी संस्कृति विष्णू, राम, कृष्ण दुर्गा, हनुमान गणेश समेत 33 करोड़ देवी देवताओं पर आधारित है और यह मांस मदिरा को वर्जित मानती हैं। ब्राह्मणवादी संस्कृति ने भारतीय संस्कृति में अतिक्रमण किया है।
नवरात्रि तंत्र साधना से जुड़ा हुआ है और काली को समर्पित है। 9 दिन के तंत्र साधना में अष्टमी और नवमी को शक्ति प्राप्त करने के लिए देवी काली को बलि दिया जाता है।
चैतनवमी तंत्र साधना का बहुत बड़ा दिन होता है और इस दिन बहुत बड़े स्तर पर जानवरों और पक्षियों की बलि दी जाती है। यह दिन पूरी तरह से मांसाहार को समर्पित है।
ब्राह्मणवादियों ने चैत्र नवमी में घुसपैठ किया और रामनवमी मनाने लगे। अब दवाब दे रहे हैं कि रामनवमी पर मांस वर्जित करो।
कल जेएनयू में ब्राह्मणवादियों के संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मांसाहार को लेकर जबरन मारपीट किया। इसी को कहते हैं चोरी भी और सीनाजोरी भी।
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