किसी भी बजट से व्यवस्था , पूंजीवादी व्यवस्था नही बचाया जा सकता, 'लोकप्रिय' बजट पेश कर सरकार बचाने की कोशिश की जा सकती है। वैसे पूंजीवादी बजट समाजवादी बजट की तुलना में बहुत छोटी होती है, क्योकि आर्थिक संसाधन सरकार के पास नही, निजी हाथों में पूंजीपतियों के पास होती है।
आज विश्व पूंजीवाद लम्बे काल से मंदी से जूझ रहा है। भारत उससे अछूता नही है। ऐसे में दोष किसे दिया जाए? डूबते कॉरपोरेट्स को, सरकार को या पूंजीवादी व्यवस्था को? यह एक अहम सवाल है।
आपके इस लेख में भी यह सवाल उठा है।
भारत मे भी उत्पादन के साधनों का स्वामित्व बुर्जुवा सरकारो के पास नही, निजी हाथों में है, इसलिये आर्थिक विकास के लिये बजट और योजना बुर्जुवा सरकारे करेगी यह सम्भव ही नही हैं। ऐसा सिर्फ समाजवादी सरकार ही कर सकती है। बुर्जुवा सरकार की भूमिका बहुत ही सीमित है, बजट का मुख्य उद्देश्य कॉरपोरेट्स की सहायता और जनता का वोट लेने के लिये कुछ कल्याणकारी योजना बनाना है।
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