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Saturday, 2 April 2022

कॉर्पोरेट लूट

अजीत सिंह

दुबई की एक कंपनी चीन से करीब 3,30,000 डॉलर का कुछ इलैक्ट्रॉनिक सामान ख़रीदती है। वह सामान दुबई की बजाय सीधे गौतम अडाणी की कंपनी को भारत में डिलीवर होता है। फिर दुबई की वही कंपनी भारत में अडाणी समूह को उसी सामान के लिए 1300% मुनाफ़े के साथ अपना 43,00,000 डॉलर का बिल भेजती है। अडाणी ग्रुप यह रक़म SBI से लिये हुए ऋण से चुका देता है। 

इसी तरह की कई डीलिंग दक्षिण कोरिया की कंपनी से भी होती हैं। 

इसके अलावा इसी तरह का और भी बहुत सारा लेन-देन होता है। फिर अडाणी की यह कंपनी कागजों में भारी नुक़सान दिखाती है और क़र्ज़ वापस करने में अपनी असमर्थता जताती है।

जाँच के बाद पता चला कि इस तरह का धंधा करने वाली बहुत सारी ऑफ़शोर कंपनियां मॉरीशस के एक ट्रस्ट की हैं और उस ट्रस्ट का ट्रस्टी विनोद शांतिलाल अडाणी है यानी सेठजी की आंखों के तारे गौतम अडाणी का सगा बड़ा भाई!
                                                              
दुबई की उस कंपनी का भी एकमात्र डायरेक्टर वही विनोद शांतिलाल अडाणी है जो पिछले 30 साल से NRI है। विनोद शांतिलाल साइप्रस का नागरिक है और दुबई में रहता है।

विनोद शांतिलाल अडाणी का बेटा प्रणव अडाणी भारत में अडाणी समूह की कई कंपनियों के बोर्ड में है, जिनमें प्रमुख रूप से अडाणी एंटरप्राइजेज और अडाणी टोटल गैस शामिल हैं।

यह पहली बार नहीं है कि विनोद शांतिलाल अडाणी का नाम "टैक्स हैवन" में पंजीकृत किसी कंपनी में आया है। उसका नाम पनामा पेपर्स में भी द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सामने आया था जिसे उसने अडाणी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एक्सपोर्ट्स के गठन के कुछ महीने बाद  4 जनवरी, 1994 को बहामास में स्थापित एक कंपनी के सम्बंध में 2016 में प्रकाशित किया था।
                                                            
कुछ खेल समझ में आया मितरों ?

ये सत्ताधारी और पूंजीपति वर्ग राजसत्ता और अपार धनशक्ति के बल पर देश की जनता को हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद या भारत-पाकिस्तान जैसे न जाने किन-किन मामलों में उलझा कर देश को इस तरह मिलजुलकर बिलों में 1300% तक का मुनाफा दिखाकर लूटने में व्यस्त हैं।

इस तरह संगठित होकर देश को लूट रहे ये गिरोह देश को खोखला कर देंगे और आमजन को ख़बर भी न होगी। ऊपर से खुद को देश का चौकीदार बताने वाला इनका फर्जी डिग्रीधारी संरक्षक कहता है —व्यापारी का योगदान सैनिक से ज्यादा है। शायद इसीलिए उसने पिछले पचास साल से प्रज्ज्वलित अमर जवान ज्योति पर हो रहा खर्चा बचाने के लिए उसे हमेशा के लिए बुझा दिया। ■

Sanjay Mahendra  जी
By Rajeev Rawat  जी


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