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Thursday, 21 April 2022

सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता. यही है भगवा पार्टी की सफलता का राज.


वित्तीय वर्ष 2020-21 में सिर्फ सात ट्रस्ट ने भगवा पार्टी यानि बीजेपी को 212 करोड़ का चंदा दिया. इस दौरान इन ट्रस्ट ने चंदा इकट्ठा किया – 258.491 करोड़. 

212 करोड़ यानि कुल चंदे का 82 प्रतिशत हिस्सा अकेले भगवा पार्टी के खाते में गया.

भगवा पार्टी के बाद सबसे ज्यादा 27 करोड़ नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को दिए गए. जेडीयू बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन में है. आगे चलकर बीजेपी में इस पार्टी का विलय होना तय है.

चूंकि "न्यू इंडिया" में सब कुछ नॉर्मल हो चुका है इसलिए एडीआर यानि एसोशिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की यह रिपोर्ट, अब मुझे हैरान नहीं करती. 

इसी 258 करोड़ में से कांग्रेस, एनसीपी, एआईडीएमके, डीएमके, आरजेडी, आप, एलजेपी, सीपीएम, सीपीआई और लोकतांत्रिक जनता दल को यानि 10 पार्टियों को कुल मिलाकर 19.38 करोड़ का चंदा दिया गया.औसतन एक पार्टी को दो करोड़.

जिन्हें लगता है कि लोकतंत्र की लड़ाई आसमान में भूखे नंगे पेट लड़ी जाती है उनकी बात नहीं करता. दिन रात गांधी-नेहरू की सेल लगाने की भी बात नहीं करता लेकिन लोकतंत्र ही नहीं, जीवन के किसी भी आयाम में सफलता के लिए संसाधन का होना मायने रखता है.

आज हिंदुस्तान को जो लड़ाई लड़नी है वह अंग्रेज़ों से आज़ादी की लड़ाई के मुकाबले ज्यादा कठिन है. ज्यादा जटिल है (इसलिए गांधी का कोई फॉर्मूला काम नहीं कर रहा).

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