अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
मेरी दोस्त, मेरी हमसफर
तुम घर से बाहर निकलो
जरा घूम-फिरकर आओ
जरा देखकर आओ
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
आज तुम्हारे शहर में
क्या-क्या हो रहा है ?
इतिहास के पन्नों में
महिला अधिकारों के लिए
संघर्ष करनेवाली
कौन-कौन-सी महिलाएं हैं ?
अपने हक-अधिकारियों के लिए
कैसे लड़ा जाता है
यह जानकर आओ
आज महिलाओं के जुलूस में
तुम भी नारे लगाकर आओ।
आज घर के सारे काम
मैं सँभाल लूँगा
खाना मैं बना लूँगा
बर्तन मैं माँज लूँगा
कपड़े भी धो लूँगा
अपने बच्चों को स्कूल
ले जाने और लाने की
जिम्मेबारी भी मेरी रही
आज घर के सारे कामों से
मैं तुम्हें मुक्त करता हूँ।
मेरी प्यारी!
मैं तुम्हें यह भी बता दूँ
जब शाम में तुम
थककर वापस घर आओगी
तो पूरे हर्षोल्लास के साथ
मैं तुम्हारा स्वागत करूँगा
तुम्हारे गले में डाल दूँगा
वसंती फूलों की माला
तुम्हारे माथे का पसीना पोंछकर
बिखरे हुए बालों को सँवारकर
और तुम्हारे अंदर यह विश्वास भरकर
कि मैं तुम्हारा पति नहीं
जीवनसाथी हूँ
तुम्हारी मुक्ति ही
मेरा लक्ष्य है
मुस्कुराते हुए तुम्हें
प्यार से गले लगा लूँगा।
-इन्द्रजीत कुमार
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