दरअसल, आरएसएस ने पाँचों राज्य जीते हैं. इन पाँचों में पंजाब भी शामिल है. आम आदमी पार्टी आरएसएस की मानसपुत्र है. जिन्हें समझने में दिक्कत हो, नीचे का विडियो (कमेंट बॉक्स) में देख लें. लेकिन आलोचना सिर्फ अरविन्द केजरीवाल की क्यों हो? उनकी न हो जो "कांग्रेस को मिटाने का क्रांतिकारी कार्यभार" लेकर निकले थे? दुःख इस बात का है उनमें से तमाम लोग अब "कांग्रेस को बचाने का क्रांतिकारी कार्यभार" लेकर निकले हैं.
अन्ना आन्दोलन से निकले लोगों को एक नैतिक सलाह है. आपने ऐसा भरभंड किया है जो संभाले नहीं संभल रहा. कांग्रेस के खिलाफ़ आपके बनाये माहौल पर ही मोदी का अश्वमेध चल रहा है. आपको यह सलाह देने के लिए सलमान खान के एक डायलाग का सहारा लेना पड़ रहा है— मुझ पर एक अहसान करना कि मुझ पर कोई अहसान न करना.
अच्छा है आपको आपकी गलती का अहसास है. लेकिन दरअसल दोष आपका नहीं आपकी कच्ची राजनीतिक दृष्टि का है. आप लोग ही हैं जो अन्ना आन्दोलन का असली चरित्र नहीं समझ सके. अगर नहीं समझ सके तो यह भोलेपन की हद है. लेकिन आप में से तमाम लोग दूध में पड़ी मक्खी देखकर भी निगल रहे थे. दिक्कत यही है कि आपको सब पता था. लेकिन आप अनजान बने रहे. क्योंकि आप भीड़ देखकर रोमांचित हो गए थे. आपको कांग्रेस से अंदरूनी चिढ़ थी. कांग्रेस विरोध आपका राजनीतिक दर्प था.
आप अपनी गलती की माफ़ी मांग लीजिये, यह आपकी उदारता है. लेकिन प्रायश्चित का वो रास्ता नहीं है, जो आपने चुना है. अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को कुछ समय के लिए ताख पर रख दीजिये. आपकी राजनीतिक समझ कच्ची है, पद्धति बचकानी और रवैया तानाशाही. पहले आप कांग्रेस के "घोर" विरोधी थे, अब आप कांग्रेस के "घोर" समर्थक हैं. उस "घोर" से इस "घोर" की यात्रा में कोई दिक्कत नहीं है.
दिक्कत है कि आपकी राजनीतिक दृष्टि कुंठित और स्वार्थी है. आप तब भी जानते थे कि आप गलत हैं, आप आज भी जानते थे कि आप गलत हैं. लेकिन गलती मानना आपकी आदत नहीं है. आपका स्किल सेट कांग्रेस को बर्बाद करने का है, बचाने का नहीं.
कृपा करके नेपथ्य में चले जाइए.
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