https://m.youtube.com/watch?v=k2d2X6fTU3w
कविता : कार्ल मार्क्स को समर्पित । तुम हमारे मार्क्स हो ! कार्ल मार्क्स के लिए : तुम हमारे मार्क्स हो !
जनगीत : आदित्य कमल बेड़ियाँ --------------------- दशकों से गाए गए समृद्ध हरियाली के गीत
ग़ज़ल : आदित्य कमल ख़ौफ़ आँखों में...../ आदित्य कमल -------------------------------------- ख़ौफ़ आँखों में , थर-थर मुट्ठियों में डर लिए ज़िंदा कितने दिन बचोगे , ख़्वाब का बंजर लिए ?
ग़ज़ल : आदित्य कमल मंत्र इस जनतंत्र के जन को छला करते रहे यज्ञ था उनका , हवन में हम जला करते रहे ।
Aditya Kamal / Poetry / Shayari / Jangeet / नहीं गिरा पाओगे , बहुत वज़नी है ...!
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