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Friday, 11 March 2022

महिला दिवस पर

सर आर्थर न्यूजहोम व डॉ जॉन एडम किंग्सबरी ये दोनों अमेरिका और ब्रिटेन के डॉक्टर थे जिन्होंने स्तालिन युग में सोवियत संघ की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था का आंखों देखा ब्यौरा अपनी किताब "रेड मेडिसिन" में लिखा था।

आज महिला दिवस पर इसी किताब से एक अंश पढिये :- 

"......जहाँ कहीं भी हम गए, हमने इस सामान्य तथ्य की झलकियां देखी कि सोवियत रूस में लैंगिक भेदभाव देखने को नहीं मिलता। ट्रामों में स्त्री कंडक्टर थीं, जंक्शनों पर स्विचिंग का काम तो अक्सर महिलाएं ही करती दिखती थीं। बहुत सी महिलाएं उन कामों में लगी हुई थीं जिनको सामान्यतः मर्दों का काम समझा जाता है, उदाहरणतया, नौकायन और भूमिगत खदानों में काम करना। हम पुरुष डॉक्टरों से ज्यादा महिला डॉक्टरों से मिले। यह तो हम सबको पता ही है कि रूसी महिला सैनिकों ने महान युद्ध के समय अपनी अलग पहचान बनाई थी। 
स्थानीय प्राधिकरण की एक मीटिंग में हमने पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट की प्रमुख अधिकारी और प्रवक्ता के तौर पर महिलाओं को पाया। पुरुषों की तरह औरतें भी उम्र के अठारह साल पूरे होते ही नागरिक का दर्जा पा जाती हैं। औद्योगिक नियमों के अनुसार समान काम के लिए समान वेतन मिलता है, बीमारी बीमा लाभ के लिए महिला और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं किया जाता, यद्यपि महिलाओं को मातृत्व के लिए अतिरिक्त लाभ मिलते हैं। महिलाओं ने अपनी पहलकदमी पर सामुदायिक लांड्री, सामुदायिक भोज केंद्र, सामुदायिक नर्सरी जैसे संस्थान खड़े किए हैं, जो उन्हें घर संभालने की जिम्मेदारी से मुक्त करके राजनीतिक और औद्योगिक गतिविधियों में भाग लेने में सहायता करते हैं। महिलाओं की यह राजनीतिक गतिविधि नई नहीं है, महिलाओं ने "नाइलीस्ट" व अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा की हैं। इसके अलावा रूस की महिलाएं हमेशा से आदमियों के साथ कठिन श्रम के कामों में लगी रही हैं, लेकिन क्रांति से पहले उनकी जिंदगी का नियंत्रण पूरी तरह से पुरुषों के हाथ में था। अब रूस की महिला पूर्ण रूप से मुक्त हो चुकी है। अब वे पूर्ण राजनीतिक और आर्थिक समानता का आनंद लेती हैं।
लैंगिक भेदभाव तो सोवियत सरकार के सबसे पहले कामों के साथ ही साफ कर दिए गए थे, उद्योगों में मौजूद कुछेक सुरक्षा नियमों को छोड़कर। वैवाहिक सम्बन्धों में पूर्ण समानता लागू है। कोई भी साथी अपनी मर्जी से विवाह को खत्म कर सकता है।
अब पति अपनी पत्नी से अधिक परिवार का भरण पोषणकर्ता नहीं है। विशेष परिस्थितियों को छोड़कर प्रत्येक योग्य पत्नी से अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी आजीविका खुद कमाए।...."




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