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'द्रोणाचार्य' अपने अपराध को
कभी नहीं भूलता..
एकलव्य से पहले
और
रोहित के बाद भी
जारी है
'द्रोणाचार्य' की क्रूरता
जारी है
उधर के लोगों का बामनी गुरूर
जारी है
पोंगा पंथ में लिपटी नफरती हवस
और हवस... हवस कभी नहीं भरती
इसलिए...'द्रोणाचार्य' अमर है
इसलिए...कोई रोहित महफूज़ नहीं
इसलिए ही तो
लड़ना है हमें
याद है न!
चोर भागता है देख कर रोशनी जैसे
वैसे खड़े होंगे भाग कर ये
क्योंकि देखा मैंने
एक डरावना सन्नाटा इन बामनों में
इन्हें भी इल्म न था
कि मृत रोहित
..ज़िंदा रोहित से ज्यादा खतरनाक होगा..
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