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Monday, 28 March 2022

संस्कृति के निर्माताओं’, तुम किसके साथ हो..?’मक्सिम गोर्की

'संस्कृति के निर्माताओं', तुम किसके साथ हो..?'

      ''आप मुझ पर 'नफरत के प्रचार' का इल्जाम लगाते हैं और मुझे सलाह देते हैं कि मैं 'प्यार का प्रचार करूँ'। शायद आप सोचते हैं कि मैं मज़दूरों से कहूँः पूँजीपतियों को प्यार करो, क्योंकि वे आपकी ताकत चूसते हैं_ उन्हें इसलिए प्यार करो क्योंकि वे व्यर्थ ही तुम्हारी धरती के खजानों को बर्बाद करते हैं_ इन लोगों से प्यार करो जो तुम्हारे लोहे के भण्डार को बन्दूकें बनाने में बर्बाद करते हैं और उन्हीं बन्दूकों से तुम्हें तबाह करते हैं_ उन बदमाशों को प्यार करो जिनकी वजह से तुम्हारे बच्चे भुखमरी से  सूखते जाते हैं_ उन लोगों को प्यार करो जो खुद ऐशो-इशरत की ज़ि‍न्दगी बसर करने के लिए तुम्हें लूटते और बर्बाद करते हैं_ पूँजीपति को प्यार करो, क्योंकि उसका गिरिजाघर तुम्हें अज्ञान के अँधेरे में रखता है।
नहीं, ग़रीबों को अमीरों से प्यार करने का उपदेश देना, मज़दूर को अपने मालिक से प्यार करने का उपदेश देना मेरा पेशा नहीं है। मैं किसी को तसल्ली नहीं दे सकता। मैं अच्छी तरह से जानता हूँ, और यह बात मुझे बहुत दिनों से मालूम है कि दुनिया में नफरत का वातारण छाया है और मैं देखता हूँ कि यह वातारण दिन-ब-दिन गहरा और तेज़ होता जा रहा है और इसके अच्छे नतीजे नहीं निकल रहे हैं..!

       वक्त आ गया है कि आप लोग जो ''मानवतावादी हैं और व्यावहारिक बनना चाहते हैं,'' यह समझ लें कि दुनिया में दो किस्म की नफरतें चल रही हैं। एक नफरत है जो क़ातिलों के दिलों में है, जो उनकी आपसी स्पर्धा और भविष्य के डर से पैदा होती है, क़ातिलों को क़यामत का सामना करना ही है। दूसरी नफरत_ मेहनतकश वर्ग की नफरत है, जो जि‍न्दगी की मौजूदा तस्वीर से है और इस एहसास ने, कि शासन करने का अधिकार उनका ही होना चाहिए इस नफरत की लौ को और भी तेज़ और रोशन कर दिया है। ये दोनों नफरतें गहराई के एक ऐसे बिन्दु पर पहुँच चुकी हैं कि कोई भी चीज़ या आदमी उनका आपस में समझौता नहीं करवा सकता, और वर्गों के बीच के अवश्यम्भावी संघर्ष और मेहनतकशों की जीत के सिवा कोई चीज़ दुनिया को इस नफरत से मुक्ति नहीं दिला सकती।

#मक्सिम गोर्की के 'संस्कृति के निर्माताओं', तुम किसके साथ हो..?' नामक लेख का एक अंश से(एक अमेरिकी पत्रकार को उत्तर।)

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