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Friday, 11 March 2022

अमेरीकन साम्राज्यवाद

ब्रिटिशरो ने जब पूरी दुनिया को गुलाम बनाकर रखा था तब ब्रिटेन में नागरिकों को स्वतंत्र लोकतांत्रिक माहोल दिया गया था। दुनियाभर से लूट कर लायी गयी संपत्ति का लाभ ब्रिटेन में रहनेवाले लोगों को मिलता था फिर उनको कोई तकलीफ नहीं थी कि उनका देश गुलाम देशों की जनता के साथ क्या क्या करता है ।

आज ऐसा ही अमेरिका का है। अमेरिका जगत जमींदार बनकर घूमता रहता है। पूरी दुनिया में दादागिरी करता रहता है। लेकिन अमेरिका में लोकतांत्रिक माहोल दिखता है। सब जगह अपना धंधा अपना मुनाफा बढना चाहिए ये उनका मकसद है। इसके लिए जरूरत पड़ने किसी देश पर हमला भी कर सकता है। लड़ाई युद्ध करता रहता है। दुनिया के देशों में अपनी पसंद की सरकार बनाना, लोकतांत्रिक तरीके से बनी हुई सरकार को साजिश के तहत गिरा देना ये सब काम अमेरिका करता रहता है।

गल्फ वार याद कर लिजिए, गल्फ का कौन सा देश अमेरिका का पड़ोसी देश है? फिर भी वहां लड़ाई की ना? वियतनाम के साथ क्या लेना-देना अमेरिका का? फिर भी वहां सेना भेजी थी ना? 

इराक इरान लिबिया अफगानिस्तान वियतनाम क्युबा सिरिया में अमेरिका ने लडाईया की है ना? अमेरिका अगर इतना ही लोकतांत्रिक है तो पाकिस्तान के तानाशाहों को क्यों हथियार बेचता रहा? पाकिस्तान तो भारत से (लोकतांत्रिक भारत से) लड रहा था न? अमेरिका को लोकतंत्र प्यारा होता तो कभी पाकिस्तान के तानाशाहों को हथियार नहीं बेचता।

अमेरीकन साम्राज्यवाद को समझने के लिए बहुत कुछ समझना पडता है। जो लोग अमेरिका में रहते हैं उनके लिए ये सब समझना आसान नहीं है क्योंकि वहां तो अमेरिकी प्रचार तंत्र कितना मजबूत होगा। आप ये समझ लो कि आप भक्तो की सोसाइटी में रहकर कैसे मोदी का विरोध कर सकते हो। इसी तरह अमेरिका में रहनेवालो के लिए अमेरिका दुनिया के साथ क्या क्या कर रहा है ये समझना आसान नहीं है।

हां ये बात सही है कि अमेरिका में रहकर आप अमेरिकी सरकार की आलोचना कर सकते हो लेकिन आपकी सबकी आलोचना - आंदोलन के बावजूद भी अमेरिकी सरकार को जो करना होता है वो कर ही लेता है। इराक़ इरान सिरिया अफगानिस्तान क्युबा वियतनाम में अमेरिका को जो करना है उसे अमरिकी नागरिकों के आंदोलन कभी रोक नहीं पाये हैं।

*रेस्नलिस्ट अनिल*

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