कामगार लाइब्रेरी आर्काइव
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Tuesday, 8 March 2022
अधिकार
जरूरत नहीं है हमें
कि हमें समझा जाए देवियां
न ही हमारी
मातृत्व की पढ़ी जाए कसीदें
पूजे जाने की
कोई ख्वाहिश नहीं है हमारी।
हमें बस चाहिए
तो अपना हक
अपना अधिकार।
एक इंसान होने का हक
अपनी देह से इतर
एक पहचान का अधिकार
✊✊
-- ईप्सा शताक्षी।
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