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Monday, 14 March 2022

मार्क्स पुण्यतिथि

विश्व सर्वहारा के महान शिक्षक, पथ प्रदर्शक कार्ल मार्क्स की मृत्यु आज ही के दिन 14 मार्च 1883 को लन्दन में हुई थी. उन्हें 17 मार्च को हाई गेट सेमेट्री में दफ़नाया गया था. वहाँ सबसे पहले उनके अनन्य मित्र और सह योद्धा फ्रेडेरिक एंगेल्स का भाषण हुआ था. उनके बाद मार्क्स की जर्मन पार्टी के उनके कॉमरेड विल्हेम लिबनेट ने अपना श्रधान्जली वक्तव्य दिया था. नीचे प्रस्तुत है उस वक्तव्य का हिंदी अनुवाद. 

"मैं अपने अविस्मरणीय शिक्षक और वफादार दोस्त के प्रति दिल से अपना प्यार और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए जर्मनी से आया हूँ। अपने अज़ीज़ दोस्त के लिए! कार्ल मार्क्स के सबसे बड़े दोस्त और महान सहयोगी (फ्रेडेरिक एंगेल्स) ने उन्हें इस सदी का सबसे ज्यादा नफरत किया गया आदमी कहा है। यह सच है, उनसे सबसे ज्यादा नफरत की गई थी लेकिन उन्हें ही सबसे ज्यादा प्यार भी किया गया था। मेहनतकशों के उत्पीड़कों और शोषकों से उन्हें सबसे ज्यादा नफरत मिली और शोषितों, उत्पीड़ितों से, जो अपनी स्थिति के प्रति सचेत हैं, सबसे ज्यादा प्यार मिला। शोषित और उत्पीडित लोग उनसेबहुत  प्यार करते हैं क्योंकि वो उनसे प्यार करते थे। वे जिनके बिछड़ जाने से हुए भारी नुकसान पर हम शोक कर रहे हैं, लोगों के दिल में प्यार और नफ़रत दोनों के रूप में महान थे। लोगों की घृणा का स्रोत उनका लोगों से प्रेम था। उन्हें जानने वाले सब जानते हैं, उनका महान दिल था क्योंकि उनका चिंतन महान था। 

लेकिन मैं यहां केवल एक छात्र और एक मित्र के रूप में ही नहीं हूँ, मैं यहां उन जर्मन सोशल-डेमोक्रेट्स के प्रतिनिधि के रूप में भी हूँ जिन्होंने मुझे अपने शिक्षक के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है. उस व्यक्ति के लिए जिसने हमारी पार्टी का निर्माण किया है, उसके लिए हम जितना कहें वो कम है।

ये लम्बे भाषण देने का वक़्त नहीं है।

क्योंकि लफ्फाजी का दुश्मन कार्ल मार्क्स से बड़ा कोई नहीं हो सकता। यह उनकी अमर योग्यता ही है कि उन्होंने सर्वहारा वर्ग, मेहनतकश जनता की पार्टी को लफ्फाजी से मुक्त किया और उसे विज्ञान की ऐसी ठोस नींव दी जिसे कोई हिला नहीं सकता। विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी और विज्ञान के माध्यम से एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने आम लोगों के स्तर पर आकर विज्ञान को उनके सामान्य हित साधने के महान कार्य में नईं बुलंदियों को छुआ।

विज्ञान मानवता का मुक्तिदाता है।

प्राकृतिक विज्ञान हमें ईश्वर से मुक्त करता है। लेकिन स्वर्ग में ईश्वर अभी भी जीवित है, हालांकि विज्ञान ने उसे कब का मार डाला।

समाज का विज्ञान जिसे मार्क्स ने लोगों के सामने प्रकट किया, पूंजीवाद को मारता है, और इसके साथ ही पृथ्वी की मूर्तियों और स्वामियों को भी, जो ईश्वर को तब तक नहीं मरने देंगे जब तक वे जीवित हैं।

विज्ञान जर्मन नहीं है। यह किसी रूकावट को नहीं जानता और कैसी भी राष्ट्रीय बाधाओं को नहीं मानता.  इसलिए यह स्वाभाविक ही था कि 'पूंजी' का रचयिता अंतर्राष्ट्रीय मेहनतक़श संघ (इंटरनेशनल) का भी निर्माता बना।

विज्ञान का आधार मिलने से, जिसके लिए हम मार्क्स के ऋणी हैं, हम दुश्मन के सभी हमलों का सामना कर सकते हैं और उस लड़ाई को अपनी लगातार बढ़ती ताकत के साथ उस मंजिल तक ले जा सकते हैं जो हमने शुरुआत में ही तय कर ली थी।

"मार्क्स ने सामाजिक-लोकतंत्र को एक पंथ, एक मठ बनने से बचा लिया और उसे एक ऐसी पार्टी में बदल दिया जो हमेशा निडर होकर लड़ेगी और विजयी होगी।

वे केवल हम जर्मनों के ही नहीं हैं। मार्क्स पूरे सर्वहारा वर्ग के हैं। सभी देशों के सर्वहारा वर्ग के लिए ही उनका जीवन समर्पित था। वो सर्वहारा, जो चिंतन कर सकता है और चिंतन कर रहा है वह उनके प्रति महान सम्मान से भरा हुआ है।

यह हम सब के ऊपर निश्चित एक भारी आघात है। लेकिन हमें हताश होने की ज़रूरत नहीं है। वे मर कर भी मरे नहीं हैं। वे हम सब के दिल में हैं, वे सर्वहारा वर्ग के मस्तिष्क में मौजूद हैं। उनकी याद कभी भी नष्ट नहीं होगी, उनका सिद्धांत कभी नष्ट नहीं होगा बल्कि वो लगातार दूर-दूर तक फैलता जाएगा।

शोक मनाते रहने के बजाय, हम उन सिद्धांतों के लिए समर्पित हो जाएँ जिनके लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया और अपनी पूरी ताकत के साथ प्रयास करें ताकि उस सिद्धांत को जो उन्होंने सिखाया और जिसके लिए उन्होंने संघर्ष किया, जल्द से जल्द व्यवहार में लाया जा सके। उनकी स्मृति को सम्मान देने का यही सबसे बेहतर तरीका होगा!

हमें छोड़कर जा चुके हमारे जीवित मित्र, हम आज आपकी क़ब्र पर शपथ लेते हैं कि हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य वही रहेगा जो हमें आपने सिखाया था!"

सर्वहारा के महान नेता कार्ल मार्क्स को लाल सलाम 
दुनिया के मज़दूरो एक हो 
इन्कलाब जिंदाबाद

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